Saturday, August 3, 2019

एकल ग्राम संगठन महिला समिति की कार्यशाला का आयोजन


इंदौर August 3, 2019 : दस्तूर गार्डन, गुमास्ता नगर, इंदौर में एकल ग्राम संगठन की संभाग, भाग व अंचल समिति की कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान एकल ग्राम संगठन महिला समिति संभाग की अध्यक्ष व केंद्रीय प्रतिनिधि श्रीमती सुषमा चौधरी, मालवा भाग समिति के संरक्षक डॉ श्री बी डी सिंघल के साथ, सचिव राज कुमार रामगढ़िया जी, वनबंधु परिषद महिला समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं नगर व ग्राम समिति की मार्गदर्शक गीता जी मूंदड़ा, वनबंधु परिषद महिला समिति की चेयर पर्सन, श्रीमती विनीता जी जाजू, मध्यभारत संभाग विकास प्रमुख, नवनीत जी कर्मा और संभाग प्रमुख श्री धनीराम जी कावड़े मौजूद रहे. कार्यक्रम का हिस्सा बने अन्य पदाधिकारियों में, भाग अध्यक्ष सरस्वती जी महेश्वरी व मोहिनी जी गुप्ता, रतलाम से हेमलता जी मालपानी, भाग सचिव शशि कावरा एवं भाग भोपाल से मंजूषा जी शाही मौजूद रही.  

इस दौरान सभा के मूल उद्देश्य को बताते हुए श्रीमती सुषमा चौधरी ने कहा कि, "इस सभा के आयोजन का उद्देश्य, परस्पर मेल जोल होते रहना एवं एक ही स्थान पर भाग संभाग एवं अंचल समिति का मिलना आवश्यक है. इससे विचारों का आदान प्रदान होता है. गांव पढ़ेगा, तो देश बढ़ेगा, इसी सूत्र से हम सभी एकल अभियान के साथ बंधे हुए हैं. ऐसे सम्मेलनों से सभी के भीतर कार्य करने की नयी स्फूर्ति का निर्वहन होता है. हमारा लक्ष्य है हमारी कार्य पद्धति  का स्वरुप, विभिन्न पदों की जिम्मेदारियां, कार्य क्षमता बढ़ाने, आपसी समन्वय, पाँचों आयामों पर चर्चा होना एवं मार्गदर्शन लेना है ताकि हम आने वाले वक़्त में और अधिक सुढ़ृड़ संगठन के रूप में कार्य कर सकें. गुणवत्ता बढ़ाने के लिए हमें इसी प्रकार की कार्यशालाओं का गठन सभी अंचलों में करना होगा. " 

भाग अध्यक्ष सरस्वती जी महेश्वरी ने सभी अंचलों के कार्यों व कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला. तत्पश्चात, श्रीमती सुषमा चौधरी ने अंचल बहनों के बीच माननीय श्याम जी के व्हाट्सऐप मैसेज का सार समझाया. इसके बाद संगठन की सुदृढ़ता का महत्व बताने के लिए श्रीमति गीता जी मूंदड़ा को आमंत्रित किया गया. 

एकल अभियान के अंतर्गत एकल ग्राम संगठन के कार्यकर्ता प्रदेश के विभिन्न छोटे बड़े गावों व कस्बों में जाकर अशिक्षित बच्चों व उनके अभिभावकों को शिक्षा प्रदान करने का काम करते हैं। जहां उन्हें शिक्षा, संस्कार, जागरूकता, स्वस्थ्य जैसे पांच आयामों के जरिये शिक्षा के महत्त्व को समझाया जाता है। बच्चों को पढ़ाने के लिए संबंधित गांव के ही शिक्षकों को जोड़ा जाता है ताकि किसी प्रकार से भाषा की दिक्कत का सामना न करना पड़े। एकल विद्यालय के अंतर्गत एक कक्षा में कुल 30 विद्द्यार्थी शामिल होते है। पोषण वाटिका के जरिये बच्चों के अभिभावकों को शिक्षा व संस्कार के बारे में जागरूक किया जाता है। मौजूदा समय में एकल विद्यालय के बच्चों की संख्या 11 लाख के करीब पहुंच चुकी है और इसे देश के कई राज्यों तक फैलाने का कार्य किया जा रहा है।


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