बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी और जेडीयू के बीच आई दरार की अटकलों पर गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्ण विराम लगा दिया है. बिहार चुनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए अमित शाह ने शनिवार को कहा, 'जो कोई भी भ्रांतियां फैलाने का प्रयास कर रहा है. मैं आज इस पर बड़ा फुल स्टॉप लगाना चाहता हूं. नीतीश कुमार ही बिहार के अगले मुख्यमंत्री होंगे.' शाह ने कहा कि देश के साथ-साथ बिहार में भी मोदी लहर है और इससे गठबंधन सहयोगियों को समान रूप से मदद मिलेगी. शाह ने कहा, नीतीश हमारे पुराने साथी हैं, गठबंधन तोड़ने का कोई कारण नहीं है.
न्यूज़18 इंडिया को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी को चाहे ज्यादा सीटें मिलें, लेकिन नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे. शाह ने कहा कि उन्होंने विभिन्न पार्टी पदाधिकारियों से फीडबैक लिया, जो हाल ही में बिहार गए थे और उन्होंने जो सीखा है वो ये है कि कोविड-19 की अवधि के दौरान प्रधानमंत्री की योजना द्वारा प्रदत्त खाद्यान्न और पैसों के हस्तांतरण से बिहार के लोगों को काफी मदद मिली है, जिससे उनके मन में एक नई छवि बनी है.
ग्रामीण और शहरी लोगों से लिया फीडबैक: शाह ने कहा, मैंने ऐसे लोगों से प्रतिक्रिया ली है जो प्रदेश के ग्रामीण और शहरी दोनों हिस्सों में रहे हैं. मार्च से छठ पर्व तक राज्य में वितरित खाद्यान्न, का किसी से एक पैसा भी नहीं लिया गया. बिहार के लोग कभी नहीं भूलेंगे कि नीतीश कुमार ने कैसे उनके प्रवास के लिए व्यवस्था की, उनकी यात्रा के लिए भुगतान किया, प्रवासी मजदूरों को प्रति व्यक्ति 1,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी.
हमने निभाया है गठबंधन का धर्म :बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी के अकेले लड़ने पर अमित शाह ने कहा, पार्टी का विस्तार कितना हुआ ये उस पर निर्भर करता है. जब से एनडीए बना है तब से नीतीश कुमार हमारे साथी हैं. गठबंधन तोड़ने का कोई कारण नहीं है. बीच में कुछ गड़बड़ हुई थी, लेकिन सिर्फ विस्तार के लिए अकेले लड़ना वो ठीक नहीं है. गठबंधन का एक धर्म होता है और हमने उस धर्म को निभाया है. ऊपर मोदी जी, नीचे नीतीश जी ये डबल इंजन वाली सरकार बिहार के विकास को बढ़ाएगी.
लोक जनशक्ति पार्टी को उचित संख्या में सीटों की पेशकश की गई, मैंने खुद चिराग से बात की थी
लोक जनशक्ति पार्टी के गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि चिराग पासवान की अगुवाई वाली एलजेपी ने अकेले जाने का फैसला किया है. हालांकि चुनाव साथ लड़ने के लिए उन्हें उचित संख्या में सीटों की पेशकश की गई और बातचीत के कई प्रयास भी किए गए.
न्यूज़18 इंडिया को दिए एक विशेष साक्षात्कार में अमित शाह ने कहा, "जहां तक बीजेपी-जेडीयू-एलजेपी के गठबंधन का सवाल है, बीजेपी और जेडीयू दोनों की ओर से एलजेपी को उचित संख्या में बार-बार सीटों की पेशकश की गई. इस बाबत कई बार बातचीत भी हुई. मैंने व्यक्तिगत रूप से कई बार चिराग से बात की."
विफल वार्ता होने के पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने कहा, "इस बार हमारे पास गठबंधन के नए सदस्य हैं, इसलिए प्रति पार्टी सीटों की संख्या नीचे जाने के लिए बाध्य थी. जेडीयू और भाजपा ने भी कुछ सीटें छोड़ दीं. लेकिन यह अंततः एलजेपी के साथ नहीं हो सका".
शाह ने आगे कहा कि एकतरफा टिप्पणियां भी की गईं, जिसका नतीजा पार्टी कार्यकर्ताओं पर दिखाई दिया, इसलिए उनका एक खेमे में रहना मुश्किल हो रहा था. हालांकि, उसके बाद भी हमने गठबंधन नहीं तोड़ा, उन्होंने ऐसा करने की आधिकारिक घोषणा की'
क्या इन चुनावों के बाद लोजपा एनडीए में वापस आ सकती है, इस सवाल पर शाह ने कहा कि "बिहार के लोग समझते हैं कि गठबंधन क्यों और किसके कारण टूटा था. हम चुनाव के बाद देखेंगे कि क्या एलजेपी एनडीए में शामिल होती है. हम अभी विरोधी हैं और उसी के अनुसार चुनाव लड़ेंगे."