नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) कोविड-19 की पहली लहर से लेकर अब तक देश के विभिन्न भागों में बच्चों और अन्य लोगों को राहत पहुंचाने के काम में पूरी तत्परता से जुटा हुआ है। कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए फाउंडेशन मध्य प्रदेश सरकार के साथ मिलकर राज्य के विदिशा जिले के
गंजबासौदा प्रखंड के 30 गांवों में “कोविड केयर किट” का वितरण शुरू करने जा रहा है। ये सभी गांव बाल मित्र ग्राम है। फाउंडेशन द्वारा संचालित बाल मित्र ग्राम परियोजना श्री कैलाश सत्यार्थी द्वारा बच्चों का बचपन सुरक्षित बनाने का एक अभिनव प्रयोग है। बाल मित्र ग्राम उन गांवों को कहा जाता है, जहां कोई भी बच्चा बाल मजदूरी नहीं करता है और सभी बच्चे स्कूल जाते हैं। 30 में से 20 गांवों को बाल मित्र ग्राम बनाने की प्रकिया शुरू हुई है। जिसे ब्राजील के आलोक इंस्टीट्यूट नामक संस्था आर्थिक सहयोग दे रही है। जिसके संस्थापक ब्राजील के प्रसिद्ध संगीतकार और गीतकार आलोक हैं। “कोविड केयर किट” वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ स्थानीय विधायक श्रीमती लीना संजय जैन द्वारा किया गया। उपजिलाधिकारी के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उपजिलाधिकारी श्री रोशन राय सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
कोविड की पहली और दूसरी लहर में मेडिकल संसाधनों और दवाइयों के अभाव से तमाम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। ऑक्सीजन की कमी की वजह से अनेक लोगों की जान भी चली गई। तीसरी लहर में आशंका जाहिर की जा रही है कि यह महामारी बड़े पैमाने पर बच्चों को प्रभावित करेगी। इसी के मद्देनजर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन कोविड की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए फिर से देशभर में सक्रिय हो गया है। इस सिलसिले में वह मध्य प्रदेश सरकार के साथ मिलकर राज्य के विदिशा जिले के गंजबासौदा प्रखंड के 30 गांवों में “कोविड केयर किट” का वितरण शुरू करने जा रहा है। कोविड केयर किट में आक्सीमीटर, निबूलाइजर, थर्मामीटर, ग्लूकोमीटर, फेसमास्क, पीपीई किट, ग्लब्स, वेपोराइजर, सैनेटाइजर,विटासिन-सी टैबलेट और जरूरी दवाइयों सहित कोविड़ इलाज में इस्तेमाल होने वाली सभी आवश्यक मेडिकल वस्तुएं शामिल हैं। कोविड केयर किट आंगनवाड़ी केंद्रों पर रखे जाएंगे। जहां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से लेकर कोई भी ग्रामीण और उनके बच्चे जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
कोविड केयर किट वितरण समारोह में लोगों को सम्बोधित करते हुए स्थानीय विधायक श्रीमती लीना जैन ने कहा- ‘‘नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी ने बाल श्रम और शोषण के अन्य प्रकारों को खत्म करने के लिए जो आंदोलन शुरू किया है वह तब तक चलना चाहिए जब तक कि यह लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लिया जाता। हमें सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना होगा कि बाल मित्र ग्राम के 20 गांवों में कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर या बाल श्रम करते नहीं पाए जाते हों। पहले 10 गांवों को बाल मित्र गांव बनाने के लिए हम ऐसा कर चुके हैं।
कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान मध्य प्रदेश में लॉकडाउन में फंसे बाल मजदूरों का बचाव कर उनको सरकार की ओर से चलने वाली योजनाओं से भी जोड़ने का काम कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन द्वारा किया है। श्री कैलाश सत्यार्थी मध्य प्रदेश के विदिशा के ही रहने वाले हैं। उनका अपने गृह राज्य और जिले से एक आत्मिक लगाव भी है। विदिशा के गंजबासौदा प्रखंड में बाल मित्र ग्राम बनाने की प्रक्रिया चल रही है। यहां के 10 गांवों को बाल मित्र ग्राम बनाया गया है। जिससे 2000 से अधिक बच्चों को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और शोषण से सुरक्षित रखने में मदद मिली है। इन गांवों के 2000 व्यक्तियों व परिवारों को सरकारी योजनाओं से भी जोड़ा गया है।
विदिशा के गंजबासोदा प्रखंड के 20 और गांवों को बाल मित्र ग्राम बनाने की प्रकिया शुरू हुई है। जबकि 10 गावों को बाल मित्र ग्राम बनाया जा चुका है। जिन गांवों को बाल मित्र ग्राम बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई है वह ब्राजील के आलोक इंस्टीट्यूट नाम की संस्था के आर्थिक सहयोग से किया जा रहा है। जिसके संस्थापक ब्राजील के प्रसिद्ध संगीतकार और गीतकार आलोक हैं। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन तीन साल में इन गांवों को बाल मित्र ग्राम बनाने की प्रक्रिया पूरी कर लेगा। इस प्रक्रिया के तहत एक ओर जहां 20 गांवों को बाल मजदूरी एवं बच्चों को अन्य प्रकार के शोषण से मुक्त किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ उन्हें हरेक तरह की सुरक्षा भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसी क्रम में आज गंजबासौदा गांव के बाल मित्र ग्रामों में कोविड केयर किट का वितरण भी किया गया।
इन गांवों के बाल मित्र ग्राम बनने से विशेषकर सहरिया जनजाति और अन्य अनुसूचित जाति के बच्चों को लाभ होगा। गौरतलब है कि इसी क्षेत्र के सहबा गांव के सुरजीत लोधी को नशामुक्ति हेतु आंदोलन चलाने के लिए इसी साल ब्रिटेन का प्रतिष्ठित डायना अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। सहबा गांव का एक और उल्लेखनीय पक्ष यह है कि दो साल पहले बच्चों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के सामने गांव की समस्याओं को बड़ी ही मुखरता से उठाया था। जिसका सफल परिणाम यह निकला कि आज गांव में नया स्वास्थ्य केंद्र बनकर तैयार है। इसी तरह से बच्चों के नेतृत्व द्वारा हर गांव में बदलाव का सिलसिला चल रहा है।
इस अवसर पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के कार्यक्रम निदेशक श्री आशुतोष मिश्र ने कहा- ‘‘बाल मित्र ग्राम का उद्देश्य गांव के स्तर पर बच्चों को केंद्र में रखते हुए उनके नेतृत्व एवं ग्रामीणों और पंचायत के सशक्तिकरण के माध्यम से गांव को बाल शोषण मुक्त कराना, हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना, बाल नेतृत्व एवं भागीदारी का निर्माण करना है।’’